Mughal Empire: रानियों और शहज़ादियों की कितनी होती थी सैलरी, हर महीने मिलते थे इतने रूपए

Mughal Empire: मुगल साम्राज्य जिसने भारतीय उपमहाद्वीप पर लगभग तीन शताब्दियों तक राज किया, उसके सामाजिक और आर्थिक ढांचे में कई रोचक पहलुओं का समावेश था. विशेष रूप से राजमहल की महिलाओं को वेतन (Salaries) देने की प्रथा इस काल की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी.

रानियों और शहजादियों को वेतन

यह विचार कि मुगल सम्राट अपनी रानियों और शहजादियों को वेतन देते थे इतिहास के अध्ययन के लिए नई जमीन तोड़ता है. बेगम जहांआरा जिन्हें सबसे अधिक वेतन (Highest Salary) प्राप्त होता था को शुरुआत में 7 लाख रुपये सालाना मिलते थे जिसे बाद में बढ़ाकर 17 लाख रुपये कर दिया गया.

वेतन में बढ़ोतरी और उसके पीछे के कारण

जहांआरा का वेतन बढ़ने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जिसमें उनकी राजनीतिक और सामाजिक भूमिका निभाने की क्षमता शामिल है. उनके वेतन में बढ़ोतरी न केवल उनके प्रभाव को दर्शाती है बल्कि यह भी बताती है कि मुगल सम्राटों ने महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता और सामाजिक स्थान को किस प्रकार महत्व दिया था.

औरंगजेब और जैबुन्निसा के बीच की आर्थिक व्यवस्था

इतिहास बताता है कि औरंगजेब ने अपनी बेटी जैबुन्निसा को 4 लाख रुपये सालाना का वेतन दिया करते थे. इस व्यवस्था से न केवल जैबुन्निसा की वित्तीय स्थिति मजबूत हुई बल्कि यह भी प्रदर्शित होता है कि सम्राट अपनी बेटी के कौशल और योग्यताओं को किस प्रकार से मान्यता देते थे.

हरम की महिलाओं को वेतन

मुगल काल में हरम में रहने वाली महिलाओं को भी वेतन दिया जाता था. इससे यह स्पष्ट होता है कि साम्राज्य में महिलाओं की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने का प्रयास किया गया था.

मुगल सल्तनत की सबसे खर्चीली बेगम

बेगम जहांआरा को सल्तनत की सबसे खर्चीली महिला के रूप में जाना जाता है. उनके खर्चे की आदत ने न केवल उनकी लग्जरी लाइफस्टाइल को दर्शाया बल्कि यह भी बताया कि मुगल साम्राज्य में शाही परिवार के सदस्यों की लाइफस्टाइल कितनी शानदार थी.

आर्थिक स्वायत्तता और सामाजिक प्रभाव

मुगल काल में महिलाओं को वेतन देने की प्रथा ने उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाया और समाज में उनकी स्थिति को मजबूत किया. यह आर्थिक स्वायत्तता उन्हें न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक रूप से भी सशक्त बनाती है.