Cheque Bounce Rules: चेक बाउन्स होने पर सजा को लेकर क्या है नियम, चेक देने से पहले जान लो बातें

Cheque Bounce Rules: चेक के माध्यम से लेन-देन करना भारत में एक आम प्रक्रिया है। लेकिन जब चेक बैंक में बाउंस हो जाता है, तो यह वित्तीय अपराध माना जाता है। चेक बाउंस (Cheque Bounce) का मतलब है कि जब किसी के खाते में पर्याप्त धन नहीं होता और वह चेक द्वारा भुगतान करने की कोशिश करता है, तो चेक की राशि नहीं निकल पाती।

नए दिशानिर्देश और इंश्योरेंस प्रीमियम में परिवर्तन

भारतीय इंश्योरेंस विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) ने सरेंडर वैल्यू के लिए नए दिशानिर्देश पेश किए हैं, जो 1 अक्टूबर से लागू होंगे। इन दिशानिर्देशों के तहत इंश्योरेंस कंपनियों को अब पॉलिसीहोल्डरों को बेहतर सरेंडर वैल्यू प्रदान करनी होगी। जिससे प्रीमियम महंगा हो सकता है या फिर एजेंटों का कमीशन कम हो सकता है।

क्या हैं चेक बाउंस होने के कानूनी परिणाम?

चेक बाउंस होने पर निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट 1881 की धारा 138 के तहत अभियुक्त को 2 वर्ष तक की सज़ा हो सकती है। इसके साथ ही परिवादी को प्रतिकर के रूप में चेक राशि की दोगुनी राशि दिए जाने का भी प्रावधान है।

जब चेक बाउंस के केस में सजा हो जाए, तो आगे क्या?

यदि चेक बाउंस के केस में अभियुक्त को सजा हो जाती है, तो वह दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 389(3) के अंतर्गत अपनी सजा को निलंबित कराने के लिए अपील कर सकता है। यह प्रावधान अभियुक्त को अपने केस की अंतिम सुनवाई तक जेल से बचने का मौका देता है।