Refined Oil Price: इस वर्ष त्योहारी सीजन उपभोक्ताओं के लिए और महंगा साबित होने वाला है. क्योंकि खाने के तेल विशेषकर रिफाइंड तेल की कीमतों में तेजी से वृद्धि (rapid increase in prices) देखने को मिल रही है. हाल ही में एक सप्ताह के दौरान रिफाइंड तेल की कीमत में 40 रुपए प्रति किलो की बढ़ोतरी हुई है जो अब तक की सबसे ऊंची कीमतों में से एक है.
त्योहारी मांग और कीमतों पर असर
त्योहारों के दौरान खासकर करवा चौथ जैसे त्योहारों पर मिठाइयों और पकवानों की मांग बढ़ जाती है जिससे खाने के तेल की कीमतों में और भी तेजी (sharp rise) आ गई है. पहले जहाँ थोक बाजार में रिफाइंड तेल का एक पैकेट 100 रुपये में बिकता था. वहीं अब इसकी कीमत बढ़कर 135 रुपये हो गई है.
वैश्विक प्रभाव और आयातित तेल पर ड्यूटी
वैश्विक कारकों के साथ-साथ आयातित तेल पर 20% ड्यूटी लगाए जाने के कारण भी रिफाइंड तेल की कीमतें बढ़ी हैं. इसने न केवल रिफाइंड तेल बल्कि सरसों के तेल (mustard oil) और अन्य खाद्य तेलों की कीमतों को भी प्रभावित किया है.
मिठाइयों और पकवानों पर प्रभाव
रिफाइंड तेल की महंगाई का सीधा असर मिठाइयों और अन्य पकवानों की कीमतों पर पड़ा है जिससे त्योहारी सीजन में इन उत्पादों की कीमतें भी बढ़ गई हैं. इसके अलावा बादाम और देसी घी (desi ghee) की कीमतों में भी नाटकीय वृद्धि देखने को मिली है. जिससे खाना पकाने की लागत में सामान्य से अधिक वृद्धि हुई है.
सरकारी नीतियों का प्रभाव
सरकारी टेंडर द्वारा कणक (wheat) की बिक्री न होने से आटे और मैदे की कीमतों में भी तेजी जारी है. इसकी वजह से कणक की कीमत 2750 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुँच गई है. जो उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ा रही है.