Goat Farming: भारत में बकरी पालन ने छोटे और सीमांत किसानों के बीच खासी लोकप्रियता हासिल की है. इसकी प्रमुख वजह है कम लागत में अधिक मुनाफा (high profit at low cost) प्राप्त करने की संभावना. बकरी के दूध और मांस की बढ़ती मांग ने इस क्षेत्र को और भी आकर्षक बना दिया है.
अल्पाइन नस्ल
अल्पाइन नस्ल जो कि स्विट्जरलैंड से आई है. विशेष रूप से उन किसानों के लिए लाभदायक साबित होती है जो दूध उत्पादन (milk production) पर जोर देते हैं. ये बकरियां औसतन 3 से 4.5 लीटर दूध प्रतिदिन देती हैं, जो कि कई देसी नस्लों से कहीं अधिक है.
अल्पाइन बकरी की खूबियां
अल्पाइन बकरियां न केवल अधिक दूध देने में सक्षम होती हैं. बल्कि इनका स्वभाव भी मिलनसार होता है. इनकी विशेषताओं में शामिल हैं उनका मजबूत संविधान और बड़े आकार जिसका औसत वजन (average weight) लगभग 61 किलो होता है. ये विभिन्न रंगों में पाई जाती हैं जैसे कि सफेद, भूरे और काले.
बकरी पालन की आर्थिक व्यवहार्यता
अल्पाइन नस्ल की बकरियों का पालन करने से किसानों को न केवल दूध उत्पादन से लाभ होता है बल्कि इनके मांस के लिए भी अच्छी कीमत मिलती है. इस प्रकार यह नस्ल निवेश पर उच्च रिटर्न (high return on investment) प्रदान करती है.
स्थायी कृषि प्रथाओं में योगदान
बकरी पालन न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है बल्कि यह स्थायी कृषि प्रथाओं (sustainable agricultural practices) का भी हिस्सा है. बकरियां कम जमीन और संसाधनों का उपयोग करते हुए अधिक उत्पादन देने में सक्षम होती हैं. जिससे ये पर्यावरण के लिए भी अनुकूल होती हैं.