प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में सफलता हासिल करना चाहता है और इसके लिए कड़ी मेहनत करता है। साथ ही सफलता पाने के लिए जीवन में अनुशासन का भी पालन करना पड़ता है,
लेकिन आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति ग्रंथ में बताया है कि यदि किसी कार्य में सफल होना है तो इन बुरी आदतों से बचकर रहना चाहिए।
न व्यसनपरस्य कार्यावाप्ति
आचार्य चाणक्य ने कहा कि व्यसन या बुरी लत में फंसा हुआ व्यक्ति किसी भी काम में सफल नहीं हो सकता। कारण यह है कि उसके काम में उत्साह और साहस नहीं है।
किसी भी व्यसन में फंसा हुआ व्यक्ति आत्मविश्वास खो देता है। आत्मविश्वास की कमी वाले व्यक्ति के कार्यों में कोई तेजस्विता नहीं होती। विषय भोगों में हर समय फंसे रहने से उसका मन कर्त्तव्य की ओर नहीं जाता।
इन्द्रिय वशवर्ती चतुरंगवानपि विनश्यति
चाणक्य ने कहा कि चतुरंगिणी सेनाओं के साथ भी राजा अपनी इंद्रियों को नियंत्रित नहीं कर सकता तो वह नष्ट हो जाता है। इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने कहा कि मनुष्य को अपनी इंद्रियों पर हमेशा वश रखना चाहिए।
जिस मनुष्य की इंद्रियां अपने वश में नहीं होती है, तो वह अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए ऐसे कार्य करता है जो उसके विनाश का कारण बनता है। राजाओं की असीम शक्ति के कारण यह अधिक जरूरी है।
आचार्य चाणक्य का कहना है कि यदि राजा के पास असीमित शक्तियां हैं, उसके पास सभी प्रकार की सेनाएं हैं, सभी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र हैं तो भी उसे चाहिए कि वह अपनी इंद्रियों को वश में रखें।