Radish farming: मूली एक ऐसी सब्जी है जिसकी मांग बाजार में पूरे साल बनी रहती है. इसकी खेती को बहुत से किसान कम लागत और अधिक मुनाफे के रूप में देखते हैं. मूली की खेती से जुड़े फायदे इसे अन्य सब्जियों की खेती की तुलना में अधिक आकर्षक बनाते हैं.
मूली की खेती की तकनीकें
मूली की खेती बहुत ही आसान (easy to cultivate) मानी जाती है और यह जल्दी तैयार भी हो जाती है. कम समय में तैयार होने के कारण मूली की खेती को कई किसान वर्ष में कई बार कर सकते हैं जिससे उन्हें बार-बार मुनाफा होता है.
सितंबर में मूली की बुवाई
सितंबर का महीना मूली की बुवाई के लिए उत्तम समय (optimal time for sowing) माना जाता है. इस समय बुवाई करने से मूली की उपज अच्छी होती है और पौधे स्वस्थ रहते हैं.
मूली की खास किस्में
बाजार में मूली की कई किस्में उपलब्ध हैं जिनमें ‘पूसा रेशमी’ और ‘रैपिड रेड व्हाइट टिप्ड’ प्रमुख हैं. ‘पूसा रेशमी’ (Pusa Reshmi) मूली की एक किस्म है जो 30 से 35 सेंटीमीटर लंबी और मीडियम मोटी होती है. इसकी परिपक्वता 55 से 60 दिन में होती है और यह 315 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज देती है. ‘रैपिड रेड व्हाइट टिप्ड’ (Rapid Red White Tipped) एक तीखी मूली है जो 25 से 30 दिन में तैयार हो जाती है और 1 हेक्टेयर में 250 क्विंटल तक की पैदावार दे सकती है.
मूली की खेती से मुनाफा
मूली की खेती से मुनाफा (profit from radish farming) काफी अच्छा हो सकता है क्योंकि इसकी उपज काफी अधिक होती है और बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिलती है. कम लागत और अधिक उत्पादन के कारण मूली की खेती को लाभकारी माना जाता है.