इतिहास की किताबें राजाओं, महाराजों और बादशाहों से भरी हुई हैं। पन्नों पर उनकी बहादुरी की कहानियां बताई गई हैं, लेकिन कुछ पन्नों पर उनकी निजी बातें भी हैं, जो लोगों को हैरान कर देती हैं। मुगल बादशाहों की पसंद में शराब और महिलाएं थीं, रियासत को बढ़ाने के अलावा।
इसके लिए खासतौर से मुगल राज में हरम बनाए गए, जहां हजारों रानियों और दासियों को रखा गया था। मुगल बादशाह यहां औरतों के साथ इश्क फरमाते थे, जिससे वे थक जाते थे।
बादशाहों ने हरम पर बहुत पैसा खर्च किया। बुढ़ापे में भी महिलाओं को खुश करने का उत्साह जारी है। उन्होंने मरने के लिए कई नुस्खे अपनाए।
नवाबों और मुगलों ने अपनी थाली में कई खाद्य पदार्थों को शामिल किया, जो उनकी मर्दाना शक्ति को बढ़ाते थे। इनमें सोने की राख और हिरण की नाभि को खाना शामिल है।
मुगल बादशाह अकबर के हरम में 5000 औरतें थीं। शाहजहां, अलाउद्दीन खिलजी और जहांगीर भी महिलाओं से शादी कर चुके थे। अपने शासनकाल में, वे हरम पर फिजूलखर्च करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इनके प्यार को बुढ़ापे की जंजीर न कमजोर करने के लिए उन्होंने बहुत कुछ किया। आयुर्वेदिक और यूनानी उपचार इनमें शामिल हैं। जैसा कि दीवान जर्मनदास ने अपनी किताब महाराज में लिखा है, पटियाला के महाराज ने कभी बटेर खाया और फिर दवा पी।
खाने में उनके पास गर्म तासीर वाले मांस और सूखे मेवे थे।वाजिद अली शाह, अवध के नवाब, हर दिन एक अशर्फी से सुनहरी राख बनाता था। वह इसे खाने में मिलाता था, जिससे खाना और स्वादिष्ट हो गया।
मुगलों ने भस्म और उबला हुआ मांस को पान में मिलाकर खाया। इतिहास की कई कहानियां बताती हैं कि मुगल राजाओं ने इंद्रगोपा कीट, काले हिरण और जंगली खरगोश की नाभि खाई थीं। माना जाता है कि ये चीजें मर्दानगी बढ़ाती थीं।