कोन है लीना खान जो फेसबुक और व्हाट्स एप्प को करवा सकती है बंद

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक बहुत बड़ी खबर वायरल हो रही है, जिसके मुताबिक व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम से कई सवाल कटघरे में आ खड़े हुए हैं जिनमें माना जा रहा है कि जल्द ही फेसबुक को इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप ऐप बेचना पड़ सकता है। जाहिर है आप भी सोच रहे होंगे कि अखिर ऐसा क्यों होगा ? तो बता दें कि इसका कारण है फेडरल ट्रेड कमिशन जिसका नेतृत्व कर रही है लीना खान। अब आप सोच रहे होंगे कि अखिर यह लीना खान है कौन ? तो आइये हम आपको लीना खान के बारे मे तमाम जानकारी देते हैं और साथ ही अभी बताते हैं कि आखिर ऐसा क्या हो गया जिस वजह से फेसबुक को व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम बेचना पड़ सकता है।
कौन है लीना खान जिसने फेसबुक को दी चुनोती
जानकारी के मुताबिक लीना खान मूल रूप से पाकिस्तान की रहने वाली है उनके माता-पिता दोनों ही पाकिस्तानी है और उनका जन्म लंदन में 3 मार्च 1989 को हुआ था परंतु जब लीना खान महज 11 वर्ष की थी तब उनके माता-पिता लंदन छोड़कर इंग्लैंड शिफ्ट हो गए और तब से ही वह वही रहने लगी। 33 वर्ष लीना ने अपनी पढ़ाई येल यूनिवर्सिटी से पूरी की है बता दें कि ली ना वहां लाॅ की छात्रा हुआ करती थी। जानकारी के मुताबिक अमेरिका में लीना को तकनीकी आलोचकों में गिना जाता था। लीना को असल पहचान तब मिली जब साल 2017 में ऐमेज़ॉन एंटीट्रस्ट पैराडॉक्स नामक टॉपिक पर उनका रिसर्च लेटर येल लॉ जर्नल में प्रकाशित हुआ।
बता दें कि जब लीना येल यूनिवर्सिटी में पढ़ा करती थी तभी से उनका नाम एंटीट्रस्ट इशु के साथ जुड़ा हुआ था और उन्हें अमेरिका में एंटीट्रस्ट और कॉन्पिटिशन लॉ जैसे कामों के लिए भी जाना जाता था। साल 2021 में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने लीना को कमीशन में अप्वॉइंट किया और जून 2021 से वह वहां काम कर रही हैं। इसके साथ ही लीना कोलंबिया लॉ स्कूल में बतौर एसोसिएट प्रोफेसर काम भी कर रहे हैं। आपको बता दें कि लीना खान कमीशन में काम करने वाली सबसे कम उम्र की चेयरपर्सन बनने वाली पहली महिला है
हाल में आई रिपोर्ट के अनुसार एफटीसी इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे एप्लीकेशंस को मेटा से अलग करना चाहती है जिसके लिए फिलहाल मेटा तैयार नहीं है
लेकिन फेडरल जज से फेडरल ट्रेड कमिशन यानी एफटीसी को हरी झंडी मिल चुकी है और जिसके बाद वह एंटीट्रस्ट मामले में सबसे पॉपुलर टेक कंपनी यानी Meta को कोर्ट में घसीट सकता है। हालांकि पिछले साल भी एजेंसी ने मेटा के खिलाफ कोर्ट में आरोप लगा चुकी है, लेकिन उस समय कोर्ट ने काफी कम जानकारी के कारण इस मामले की सुनवाई नहीं की थी। लेकिन इस बार एफटीसी अपनी शिकायत में काफी बदलाव किए हैं और उसके बाद कोर्ट पहुंचा है। दरसल एफटीसी का इल्जाम है, कि सोशल नेटवर्किंग एरिया में मेटा एक मोनोपोली है।
आपको बता दें, कि एफटीसी की नजर केवल मेटा ही नहीं बल्कि विश्व की सबसे बड़ी कंपनी गूगल और अमेजॉन पर भी है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि एफटीसी ने साल 2012 में फेसबुक को लगभग 1 अरब डॉलर में इंस्टाग्राम के अधिग्रहण की मंजूरी दे दी थी। उस समय इस कंपनी में करीबन 13 कर्मचारी थे। लेकिन इसके 2 साल बाद यानी साल 2014 में फेसबुक ने 19 अरब डॉलर में इंस्टेंट मैसेजिंग एप व्हाट्सएप को खरीद लिया था। लेकिन अब एफटीसी यह दलिल दे रहा है, कि फेसबुक ने लगातार केवल एक क्रम से अपने कंपीटीटर्स को ही खरीदा है और अपनी एक मोनोपोली बनाई है। कमीशन का यह इल्जाम है, कि कंज्यूमर्स को कंपनी के प्रभाव के कारण कम ऑप्शंस मिल रहे हैं और साथ ही साथ बाजार में बिजनेस और टेक इनोवेशन भी नहीं आ पा रहे हैं, जिससे प्राइवेसी प्रोटेक्शन में भी कमी आ गई है।