मेरी कहानी: मुझे मेरी बेटी के बैडमिंटन कोच से प्यार हो गया, लेकिन एक बात ने मुझे रोक दिया

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मेरी कहानी: मुझे मेरी बेटी के बैडमिंटन कोच से प्यार हो गया, लेकिन एक बात ने मुझे रोक दिया

मेरा तलाक हो चुका है। मेरी दो बेटियां हैं। लेकिन सच तो यह है कि मैं एक रिश्ते में बंधने के ख्याब सजाने लगी हूं। लेकिन अपनी छोटी बेटी की वजह से मैं ऐसा नहीं कर सकती। मैं एक तलाकशुदा महिला हूं। मेरे दो बच्चों भी हैं। मेरा अब तक का जीवन बहुत मुश्किल भरा
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मेरी कहानी: मुझे मेरी बेटी के बैडमिंटन कोच से प्यार हो गया, लेकिन एक बात ने मुझे रोक दिया

मेरा तलाक हो चुका है। मेरी दो बेटियां हैं। लेकिन सच तो यह है कि मैं एक रिश्ते में बंधने के ख्याब सजाने लगी हूं। लेकिन अपनी छोटी बेटी की वजह से मैं ऐसा नहीं कर सकती।

मैं एक तलाकशुदा महिला हूं। मेरे दो बच्चों भी हैं। मेरा अब तक का जीवन बहुत मुश्किल भरा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस इंसान से मैंने सबसे ज्यादा प्यार किया, घरवालों को मनाने के बाद शादी की, उसी ने मुझे बुरी तरह तोड़कर रख दिया। दरअसल, मेरा पति एक धोखेबाज पति व्यक्ति था, जिसने केवल अपनी परवाह करते हुए मुझे दूसरी महिला के लिए छोड़ दिया। उसने कभी अपने बच्चों के बारे में भी नहीं सोचा।

यही एक वजह भी है कि मैं जब भी पीछे मुड़कर देखती हूं, तो मुझे पछतावा और दुख के सिवाय कुछ नहीं दिखाई देता। हालांकि, मेरे बच्चे हमेशा मेरे समर्थन में खड़े रहे हैं। वह मेरी बहुत परवाह करते हैं। हर कदम पर विश्वासघात मिलने के बावजूद मैं उन्हीं की वजह से अपने जीवन में आगे बढ़ रही हूं।

मेरी कहानी: मुझे मेरी बेटी के बैडमिंटन कोच से प्यार हो गया, लेकिन एक बात ने मुझे रोक दिया
मेरी कहानी: मुझे मेरी बेटी के बैडमिंटन कोच से प्यार हो गया, लेकिन एक बात ने मुझे रोक दिया

हालांकि, पति के छोड़कर जाने के बाद मुझे कभी भी प्यार की उम्मीद नहीं थी। लेकिन सालों बाद मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ, जिसने मेरी जिंदगी बदल दी। सच कहूं तो मैंने जीवन भर अकेले रहने का मन बना लिया था। लेकिन वो कहते हैं न कुछ चीजों पर हमारा बस नहीं चलता। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। (सभी फाइल फोटोज- सभी तस्वीरें सांकेतिक हैं, हम यूजर्स द्वारा शेयर की गई स्टोरी में उनकी पहचान गुप्त रखते हैं)

वह मेरी छोटी बेटी का कोच था

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दरअसल, मेरी छोटी बेटी को बैडमिंटन खेलना बहुत पसंद है। वह 7 साल की उम्र से इसे खेल रही है। वास्तव में, वह इसमें बहुत अच्छी भी है। इसलिए, मैंने फैसला किया कि अगर इस खेल में उसकी दिलचस्पी है, तो वह इसे प्राथमिकता जरूर देगी। उसकी प्रैक्टिस जारी रखने के लिए मैंने उसे एक सुपर-प्रो स्पोर्ट्स अकादमी में दाखिला दिलाया, जहां वह अपने कौशल को और भी अच्छे से निखार सकें। इस दौरान मेरी मुलाकात मिस्टर बत्रा से हुई। वह देखने में लंबा-स्मार्ट और कॉन्फिडेंस से भरा हुआ व्यक्ति था।

मुझे उस आदमी से प्यार हो गया

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वह मेरी बेटी का आधिकारिक कोच था। वह मुझसे बहुत दोस्ताना लहजे में बात करता था। हम दोनों न केवल हर दिन मिलते थे बल्कि उससे बात करके मुझे भी काफी खुशी भी महसूस होती थी। हालांकि, हमारी बातचीत ज्यादातर मेरी बेटी के भविष्य संभावनाओं को लेकर ही होती थी। हालांकि, एक दिन मैंने उससे उनके निजी जीवन के बारे में भी बात की, तब मुझे पता चला कि उसकी पत्नी मर गई थी। वह भी अकेला अपना जीवन काट रहा था। हालांकि, उसने अपने अकेलेपन को अपने जुनून में बदल दिया और युवाओं को कोचिंग देने का मन बनाया।

मैं उसके करीब रहने के बहाने ढूढ़ने लगीं

स्पोर्ट्स अकादमी में अपने सपने को पूरा होता देख मेरी बेटी बहुत ज्यादा खुश रहने लगी थी। वह इस खेल में काफी अच्छा भी कर रही थी। हर कोई उसकी तारीफ करता था। मिस्टर बत्रा भी एक बेहतरीन कोच थे। उन्होंने मेरी बेटी को बहुत कुछ सिखाया था। लेकिन धीरे-धीरे मेरा यह दीवानापन मोह में बदल गया। दरअसल, मिस्टर बत्रा के व्यक्तित्व-चीजों को पढ़ाने का तरीका और सबके लिए वह जो सम्मान रखते थे, उसने मेरा ध्यान अपनी तरफ खींच लिया। अपनी बेटी को शाम को रोज अकादमी से लाने में मुझे मजा आने लगा। मैंने उनसे बात करने के मौके तलाशने लगी फिर एक दिन मुझे एहसास हुआ कि मैं उससे प्यार हो गया है।

मैं उनसे अपने दिल की बात नहीं कह सकी

मेरी कहानी: मुझे मेरी बेटी के बैडमिंटन कोच से प्यार हो गया, लेकिन एक बात ने मुझे रोक दिया
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यह बात सच है कि मैं मन ही मन उनसे प्यार करने लगी थी। लेकिन मैं उन सभी चीजों के कारण उनसे कुछ भी कहने बहुत डरती थी, जो मुझे पहले झेलनी पड़ी थीं। मुझमें अपनी बात आगे बढ़ने का साहस नहीं था। लेकिन एक दिन मिस्टर बत्रा ने खुद मुझसे कॉफी पर चलने के लिए कहा। मेरी बेटी की प्रैक्टिस के बाद जब हम तीनों एक साथ एक कॉफी शॉप में बैठे, तो हमने विभिन्न चीजों के बारे में बात की। इस दौरान मैं उन्हें बताना चाहती थी कि मैं उन्हें कितना प्यार करती हूं, लेकिन मैं अपनी बात नहीं कह सकी।

मेरी बेटी ने मुझे रोक लिया

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साथ में कॉफी पीने के अगले दिन उन्होंने मुझसे डिनर पर बाहर चलने के लिए कहा। वह वास्तव में मेरे साथ समय बिताना चाहते थे। इस दौरान मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। मुझे नहीं पता था कि मेरे साथ यह क्या हो रहा था? लेकिन इसने मुझे एकदम से काफी खुश कर दिया था। हमने साथ में अच्छा खाना खाया। उन्होंने मुझे बहुत हंसाया। लेकिन इस दौरान एक चीज जो मुझे अपनी बात रखने से पीछे खींच रही थी, वह मेरी बेटी थी।

ऐसा इसलिए क्योंकि अगर उसे अपने कोच के लिए मेरी भावनाओं के बारे में पता चलेगा, तो मैं नहीं जानती थी कि वह इस पर कैसे प्रतिक्रिया देगी? मुझे अपनी बेटी को खोने का डर था। मैं अपनी बेटी की वजह से इस रिश्ते से पीछे हट गई। मैं जीवन के उस मोड़ पर हूं, जहां मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा है। कभी-कभी मैं चाहती हूं कि मैं अपने दिल की बात कह दूं। लेकिन दूसरे ही पल यह ख्याल गायब हो जाता है। मुझे समझ आने लगा है कि मुझे अपनी जिंदगी में कभी भी प्यार नहीं मिलने वाला है।