
हम आए दिन सोशल मीडिया पर कई लोगों की सफलता की कहानियां सुनते रहते हैं उन्हें ऐसी ही एक कहानी है हरियाणा के प्रदीप की। हरियाणा में रहने वाले प्रदीप बहुत ही सामान्य परिवार से ताल्लुक रखते थे उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और सिविल सर्विसेज की तैयारी करने लगे। परंतु काफी वर्षों तक सिविल सर्विस की तैयारी करने के बावजूद जब उन्हें सफलता नहीं मिली तो उन्होंने सोचा कि एमबीए कर लिया जाए। एमबीए करने के बाद उन्होंने एक अच्छी नौकरी भी ढूंढ ली।
इस प्रकार आया दूध बेचने का आईडिया
साल 2012 से साल 2018 तक प्रदीप ने कई कंपनियों में नौकरी की। उन्हें इस दौरान सैलरी भी अच्छी मिल जाती थी। परंतु अच्छी सैलरी के मिलने के बावजूद प्रदीप उस नौकरी से संतुष्ट नहीं हो पाते थे। इसलिए प्रदीप ने नौकरी छोड़ दी। नौकरी छोड़ने के बाद वे अपना कुछ नया बिजनेस शुरू करने के बारे में सोचने लगे। परंतु उनके दिमाग में कोई आईडिया नहीं आ रहा था इसलिए उन्होंने सोचा कि क्यों ना एक बार पूरे भारत के जिलों का दर्शन किया जाए। जिसके बाद प्रदीप भारत घूमने निकले और जगह जगह पर जाकर देखने लगेगी मार्केट में किस चीज की अधिक डिमांड है।
पहला स्टाल हरियाणा में लगाया
उसी में से प्रदीप के दिमाग में आइडिया आया कि दूध से जुड़ी चीजें और दूध को बेचा जाए। प्रदीप कई किसानों से मिले जो दूध का व्यापार करते थे और उसमें से ही उन्हें यह पहचान में आया कि दूध की डिमांड मार्केट में काफी है। ऐसे में प्रदीप ने सोचा कि किसानों के द्वारा ठंडा दूध बेचे जाने की बजाय क्यों ना स्टॉल लगाकर गर्म दूध मिट्टी के कुल्हड़ में डाल कर बेचा जाए। प्रदीप के द्वारा सोचा गया यह विचार सफल हुआ और उन्होंने अपना पहला स्टॉल हरियाणा में लगाया। शुरुआत में उन्हें थोड़ी परेशानी जरूर हुई लेकिन बाद में उन्हें अच्छा रिस्पांस मिलने लगा।
लॉकडाउन के कारण आ गई थी परेशानी
बाद में प्रदीप ने अपना एक स्टॉल दिल्ली में भी लगाया। इन दोनों स्टॉल्स पर प्रदीप सुबह शाम मिट्टी के कुल्हड़ में गर्म दूध बेचा करते थे। सब कुछ ठीक चल रहा था कि तभी कोरोना महामारी ने देश पर हमला बोल दिया और पूरे देश में लॉकडाउन लग गया। लॉकडाउन के कारण प्रदीप के बिजनेस पर भारी प्रभाव पड़ा और उनका बिजनेस बंद हो गया। इस बार उनकी पूरी आमदनी ही बंद हो चुकी थी परंतु उनके दिमाग में एक नया आईडिया आया कि क्यों ना अब अपने प्रोडक्ट को ऑनलाइन बेचा जाए। परंतु गर्म दूध ऑनलाइन नहीं बेचा जा सकता इसलिए प्रदीप ने एक नए युग की लड़ाई।
ऑनलाइन मार्केटिंग का लिया सहरा
उन्हें उन्हें दूध को प्रोसेसिंग करके उसके अन्य प्रोडक्ट बनाएं जैसे पेड़ा, घी और भी अन्य पदार्थ। प्रदीप ने सभी किसानों से कहा कि वे उन्हें अपने दूध को प्रोसेसिंग करके पेड़ा मावा और घी बना कर दे। जिसके बाद किसानों को दिया हुआ है प्रदीप का यह सुझाव भी कामयाब हुआ और ऑनलाइन मार्केटिंग के माध्यम से उनके सभी प्रोडक्ट जल्दी ही बिकना शुरू हो गए। इस दौरान उन्होंने एक और युक्ति लड़ाई की किसानों को दूध प्रदीप तक पहुंचाना पड़ेगा। सभी किसान एक कलेक्टर के पास दूध जमा करवाते थे और वह कलेक्टर दूध को प्रदीप तक पहुंचाता था। जिसके बाद उसे ट्रांसपोर्टिंग का चार्ज भी दे दिया जाता था और बुध के बदले में भुगतान भी कर दिया जाता था।
प्रति महीना 4 लाख कमाने लगे
प्रदीप ने बताया कि रोजाना उन्हें 200 लीटर दूध की आवश्यकता होती है। इसलिए उन के माध्यम से कई किसानों का भी फायदा हुआ और तो और जिस मिट्टी के कुल्हड़ में भी दूध बेचते थे उस मिट्टी के कुल्हड़ को बनाने वाले कुम्हार का भी काफी फायदा होने लगा। ऐसे में प्रदीप प्रति महीना 4 लाख रुपए कमाई करने लगे और अपने इस काम से उन्हें काफी संतुष्टि का भी अनुभव होने लगा। प्रदीप ने यह साबित कर दिया कि व्यक्ति के पास नया काम शुरू करने के लिए मजबूत इरादा होना चाहिए और उस मजबूत इरादे के बल पर ही व्यक्ति सफलता को भी प्राप्त कर सकता है।