Chanakya Niti- इन आदतों को अपना लेने से नही होगी आपकी सेहत ख़राब, रखे इन बातों का ध्यान

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Chanakya Niti- इन आदतों को अपना लेने से नही होगी आपकी सेहत ख़राब, रखे इन बातों का ध्यान

आचार्य चाणक्य अपने समय में बहुत बड़े विद्वान थे. उनकी रणनीति, कूटनीति का कोई जवाब नहीं था. चाणक्य एक अच्छे शिक्षक थे. उन्होंने तक्षशीला में कई सालों तक बच्चों को अर्थशास्त्र का ज्ञान दिया था. आचार्य चाणक्य ने अपनी किताब नीतिशास्त्र में जीवन के हर स्वरूप के बारे में बताया है. नीतिशास्त्र में लिखी बातों
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Chanakya Niti- इन आदतों को अपना लेने से नही होगी आपकी सेहत ख़राब, रखे इन बातों का ध्यान

आचार्य चाणक्य अपने समय में बहुत बड़े विद्वान थे. उनकी रणनीति, कूटनीति का कोई जवाब नहीं था. चाणक्य एक अच्छे शिक्षक थे. उन्होंने तक्षशीला में कई सालों तक बच्चों को अर्थशास्त्र का ज्ञान दिया था. आचार्य चाणक्य ने अपनी किताब नीतिशास्त्र में जीवन के हर स्वरूप के बारे में बताया है.

नीतिशास्त्र में लिखी बातों का अनुसरण करने पर व्यक्ति को सफलता मिलती है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य ही मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी कुंजी है. अगर कोई व्यक्ति स्वस्थ है तो किसी भी परेशानी से लड़ सकता है. इसलिए कहा जाता है कि अपने सेहत पर खास ध्यान दें.

अच्छी सेहत हमारे खान पान के लिए बहुत निर्भर करती है. आइए जानते हैं चाणक्य नीति के अनुसार, स्वस्थ रहने के लिए किन बातों का पालन करना चाहिए.

चूर्ण दश गुणो अन्न ते, ता दश गुण पय जान।
पय से अठगुण मांस ते तेहि दशगुण घृत मान॥

चाणक्य नीति के इस श्र्लोक में आचार्य ने बताया है कि कच्चे अनाज के मुकाबले अधिक पीसा हुआ अनाज फायदेमंद होता है. पीसे हुए अनाज से ज्यादा दूध लाभ देता है. दूध से मांस 10 गुना पौष्टिक होता है और घी उससे भी 10 गुना ज्यादा फायदा पहुंचाता है.

अजीर्णे भेषजं वारि जीर्णे वारि बलप्रदम्।
भोजने चामृतं वारि भोजनान्ते विषप्रदम्।।

आचार्य चाणक्य ने बताया है कि भोजन को पचाने के लिए पानी औषधी बन जाता है. व्यक्ति को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि खाना खाने के 1 से 2 घंटे बाद ही पानी पीना फायदेमंद होता है. इसके साथ खाने के बीच में थोड़ा सा पानी पीना अमृत के समान होता है. लेकिन खाना खाने के तुरंत बाद पानी को ग्रहण करना जहर बन जाता है.

गुरच औषधि सुखन में भोजन कहो प्रमान।
चक्षु इंद्रिय सब अंश में, शिर प्रधान भी जान॥

चाणक्य नीति में बताया गया कि सभी तरह की औषधियों में गिलोय प्रधान है. सब सुखों में भोजन प्रधान है जिसका तात्पर्य यह है कि किसी भी प्रकार का सुख हो लेकिन सबसे ज्यादा सुख भोजन करने में ही आता है. जिस तरह शरीर की सभी इंद्रियों में आंखें प्रधान हैं और सभी अंगों में मस्तिष्क.