
आप भी कई बार सड़क पर जा रहे होते है तो आपने सड़क किनारे बहुत से भिखारी देखे होगे ,लेकिन कई बार ऐसा होता है जो असल में भिखारी जैसा दीखता है वो निकलता है कोई और .ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर में नजर आया जब एक डी एस पि रोज के जैसे सड़क पर गस्त को निकले थे तो उनको सामने एक भिखारी बेठा दिखा ,जब उन्होंने उसकी पड़ताल की तो वो भिखारी उनकी ही बैच का अफसर निकला तो चलिए जानते है पूरा मामला .
सडक किनारे भिखारी को देख रोकी गाडी
दरसल मामला ये था की ग्वालियर में उप चुनाव थे और उसकी गिनती के बात DSP तोमर और विजय सिंह सडक से घर वापिस जा रहे थे ,जैसे ही वो एक चोक से गुजर रहे थे तो उन्होंने एक अधेड़ उम्र का भिखारी बेठा दिखा .उसे देख कर भदोरिया ने अपनी गाडी रोकी और उस भिखारी से मिलने चले गए .
इसके बाद दोनों पुलिस ऑफिसर ने उस भिखारी से बात करनी शुरू की और उसको ठण्ड लगता देख उन्होंने अपने जूते और अपनी जैकेट उस भिखारी को दे दी .बाद में जब वो उस भिखारी से बात करी तो आप को जान कर हैरानी होगी की ये भिखारी पहले एक पुलिस ऑफिसर था और इन दोनों के ही बैच का अधिकारी था .
और आगे जब उस से बात हुई तो पता लगा की ये भिखारी करीबन दस साल से लावारिस की तरह सड़क पर घूम रहा था ,वो पहले एक पुलिस ऑफिसर था और उसका नाम मनीष मिश्र था .इतना ही नहीं बल्कि ये मनीष मिश्र अचूक निशानेबाज़ था और 99 बैच का ऑफिसर था ,और एक जानकारी के अनुसार ये मनीष मिश्र मध्य प्रदेश के कई थानों में थानेदार के रूप में तैनात रहे है .
मनीष मिश्र ने 2005 तक पुलिस की नौकरी की और आखरी बार उन्होंने दतिया में ड्यूटी की उसके बाद इनकी मानसिक हालत धीरे धीरे ख़राब होती चली गयी .घरवालो ने इनका बहुत इलाज करवाने की कोशिश की पर ये हर जगह से भाग कर घर वापिस आ जाते .
कुछ दिन बाद इनके परिवार वालो को भी नहीं पता चला की ये कहा चले गए उसके बाद इनकी पत्नी भी इनको छोड़ कर चली गयी ,फिर बाद में इनकी पत्नी ने इनसे तलाक ले लिया .और फिर धीरे धीरे ये भीख मागने लगे और आज करीबन 10 साल हो गए इनको भीख मांगते हुए .इसके बाद इन दोनों पुलिस अधिकारिओ ने इनको संस्था में भिजवा दिया और अब वहा इनकी देखभाल हो रही है .