Property Rights: जाने बहन, बेटी से लेकर बहु और मां का प्रॉपर्टी में कितना होता है अधिकार, जाने किसको मिलती है सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी

Manoj aggarwal
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भारत में संपत्ति से संबंधित कई कानून हैं. उत्तराधिकार से संबंधित भी कई नियम है. हिंदू उत्तराधिकार कानून में 2005 में संशोधन किया गया जिसके तहत बेटियों को भी पैतृक संपत्ति का अधिकारी माना गया. पहले यह अधिकार केवल उन्हीं बेटियों को दिया गया था जिनके पिता की मृत्यु 9 सितंबर 2005 के बाद हुई हो लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह तारीख तथा वर्ष वाली शर्त खत्म कर दी. आज हम आपको महिलाओं के बेटी बहन तथा मां के रूप में संपत्ति से संबंधित अधिकारों के बारे में जानकारी देने वाले हैं.

बहन का संपत्ति पर अधिकार

साल 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन किया गया तथा बहन को भी पैतृक संपत्ति में भाई जितना अधिकार दिया गया. साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय में फैसला देखकर सभी प्रकार के डाउट खत्म कर दिए और पैतृक संपत्ति में भाई बहन को बराबर अधिकार दिया.

बेटी का संपत्ति पर अधिकार

हिंदू सक्सेशन एक्ट, 1956 में साल 2005 में संशोधन किया गया तथा बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में बेटे के बराबर अधिकार दिया गया. शादीशुदा महिला पिता की संपत्ति पर हक जाता सकती है.

मां का संपत्ति पर अधिकार

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 में बेटे की संपत्ति पर माँ के अधिकार से सम्बंधित कानून है. यदि लड़का विवाहित है तो अलग तरीके से संपत्ति का बंटवारा होता है तथा अविवाहित होते हुए मृत्यु होने पर अलग तरीके से संपत्ति का बंटवारा किया जाता है.

मां अपने मृत बेटे की संपत्ति में उतनी ही हकदार है जितनी उसकी पत्नी तथा बच्चे हैं. पति की संपत्ति में भी पत्नी अपने बच्चों के अधिकार के समान ही भागी है.

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 8 में बच्चों की संपत्ति पर माता-पिता का अधिकार बताया गया है.

सास-ससुर की संपत्ति पर बहू का अधिकार

सास-ससुर की संपत्ति पर महिला का हक नहीं होता. चाहे वे जीवित है या उनका देहांत हो चुका है महिला उनकी संपत्ति पर हक नहीं जता सकती.

सास-ससुर की मृत्यु होने के बाद उनकी संपत्ति का हक महिला को नहीं बल्कि पति को मिलता है. यदि पहले पति का देहांत हो जाता है तथा उसके बाद सास ससुर का देहांत होता है तो ऐसी स्थिति में महिला को संपत्ति पर अधिकार मिल जाता है.

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