एक ऐसा क्रिकेटर 8 घंटे काम करके मिलते थे 35 रूपये ,आज कमा रहे करोड़ो रुपये

दोस्तों इस दुनिया में ऐसे कई लोग है जिन्होंने अपनी मेहनत से जिन्दगी में वो मुकाम हासिल किया जिसके बाद उनकी पिछली जिदंगी पर यकीन करना थोडा मुश्किल लगता है. ऐसे ही एक क्रिकेटर की कहानी आज हम आपको बताने वाले है जिन्होंने अपने स्कूली दिनों में इतनी मेहनत की थी कि आपके होश उड़ने वाले है. इस खिलाड़ी को अपने शरीर को ढकने के लिए कपड़े खरीदने के लिए भी मजदूरी करनी पडती थी. जिस उम्र में बच्चे खेलकूद पर ध्यान देते है तब ये खिलाफी टाइल फैक्ट्री में मजदूरी करता था. जहाँ इसे 8 घंटे काम करने के केवल 35 रूपये मिलते थे. हम जिस खिलाड़ी की कहानी बता रहे है ये और कोई नही बल्कि मुनाफ पटेल है. आइये जानते है मुनाफ पटेल से जुडी ऐसी और बाते जो आपको रुला कर रख देगी.
मुनाफ की जिन्दगी के कुछ अनछुए पल
बात 1990 की है जब मुनाफ के हाथ में आज की तरह क्रिकेट का बैट नही होता था बल्कि उनके कन्धो पर एक जिम्मेदारी थी घर को सम्भालने की. मुनाफ का जन्म गुजरात के भारुच जिले के इखार गाँव में हुआ था. उन दिनों उनके पिता के हालात इतने अच्छे नही थे कि वे उन्हें एक अच्छी परवरिश दे पाते क्योंकि उनके पिता मजदूरी करते थे. मुनाफ के घरवालो की हालत इतनी खराब थी कि वे सालभर में एक बार कपड़े सिलवाते थे. वहीँ गरीबी के चलते मुनाफ को भी 10 से 11 साल की उम्र में काम करना पड़ा था.
मुनाफ पटेल 35 रूपये की दिहाड़ी के लिए 8 घंटे काम करते थे उन्होंने खुद इस बात का जिक्र एक इन्टरव्यू में किया था. उन्होंने अपने पुराने दिनों को जब याद किया तो लोग भी उनकी बाते सुनकर काफी ज्यादा भावुक हो गये थे. लेकिन उन्होंने फिर भी अपनी मेहनत से आज वो मुकाम हासिल किया है कि हर कोई उनकी काबलियत देखकर हैरान रह गया है. कभी जो मुनाफ 35 रूपये के लिए पुरे दिन काम करता था और सालभर पुराने फटे हुए कपड़े पहनते थे वे आज करोड़ो के मालिक है.
स्कूल से जाने के बाद करते थे मजदूरी
मुनाफ स्कूल से छुट्टी मिलते ही मजदूरी करने चले जाते थे लेकिन एक दिन मुनाफ के दोस्त ने टीचर से उनकी शिकायत करते हुए बता दिया कि वे स्कूल के बाद काम करते है. दोस्त की बात सुनकर वे डर गये थे लेकिन टीचर उनके हालत समझ गये थे इसलिए उन्होंने मुनाफ को क्रिकेट खेलने की सलाह दी थी. टीचर की बात से प्रेरित होकर मुनाफ ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था हालांकि उनके पास पैर में जूते तक नही थे वे चप्पलों में घंटो मैदान में क्रिकेट की प्रेक्टिस करते थे.
एक दिन जब मुनाफ क्रिकेट खेल रहे थे तब उन्हें युसूफ मिले थे जिन्होंने न केवल मुनाफ को जूते दिलवाए बल्कि उन्हें बडौदा के के क्रिकेट क्लब में भी भर्ती करवाया था. इस तरह युसूफ मुनाफ की जिंदगी में एक मसीहा बनकर आये थे जिन्होंने उनकी पूरी जिदंगी ही बदलकर रख दी थी. वहीँ फिर मुनाफ की मेहनत भी रंग लाई और उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के लिए चुना गया.
गेंदबाजी में दुसरो के होश उड़ाते खिलाडी
असल जिन्दगी में मुनाफ बहुत कम बात करते है लेकिन जब वे खेल के मैदान में उतरते है तो उनकी खतरनाक बोलिंग हर किसी के छक्के छुड़ा देती है. आज भले ही अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में नही खेलते लेकिन आईपीएल में वे अब भी बने हुए है. मुनाफ सबसे ज्यादा अपनी तेज गेंदबाजी के लिए जाने जाते है. वहीँ उनकी बैटिंग कुछ ऐसी है या तो वे 0 पर आउट हो जायेंगे या फिर लगातार रन बनाते चले जायेंगे.
पार्टियों को लेकर मुनाफ ने कहा था कि वे पहले पब में पार्टी करने से बहुत डरते थे क्योंकि उन्हें लगता था वहां जाकर शराब पीना पड़ता है और वे इन सब चीजो से कोसो दूर रहते थे. लेकिन जब उनके दोस्तों ने उन्हें बताया कि क्लब में शराब पीना जरूरी नही है तब से वे भी क्लब जाते है.
शेनवॉर्न के साथ हो चुकी है लड़ाई
मुनाफ एक ऐसे खिलाड़ी भी है जो बोर्ड अधिकारियो के गलत फैसलों पर खुलकर आवाज उठाते दिखाई दे चुके है. 2009 में IPL के दौरान मुनाफ और ऑस्ट्रेलिया के स्पिनर खिलाडी शेन वॉर्न की आपस में लड़ाई हो गयी थी. कहते है कि उस समय शेनवॉर्न राजस्थान रॉयल टीम के कप्तान थे और मुनाफ पटेल भी इसी टीम से खेल रहे थे. मुनाफ को लगता था कि वे इस मैच की जीता सकते है लकिन शेन वॉर्न ने उनके हाथ से बॉल लेकर दुसरे गेंदबाज को दे दी थी.
अपने हाथ से बॉल ले जाने की वजह से मुनाफ काफी ज्यादा गुस्सा हो गये थे क्योंकि उनकी टीम हार चुकी थी और फिर मुनाफ ने टीम के मालिक से वॉर्न की शिकायत करते हुए उन्हें सारी बात बताई थी. वॉर्न ने मुनाफ पटेल से बाद में माफ़ी भी मांगी थी और दोनों में हुई लड़ाई शांत हो गयी थी. मुनाफ शेन वॉर्न के बहुत बड़े फैन भी है और उनका कहना है कि शेन वॉर्न के हाथ में जादू है.