
दुनिया भर के हर एक इंसान के जीवन में कभी ना कभी कोई ना कोई मुसीबत आ जाती है या फिर किसी प्रकार की बीमारी हो जाती है जिसके लिए उसे दुआओं की जरूरत पड़ती है। किसी बीमारी के लिए ली जाने वाली दवाओं में आपने देखा होगा कि कभी-कभी डॉक्टर है हमें कैप्सूल दे देते हैं जिसके अंदर दवा मौजूद रहती है लेकिन बाहर से देखने में वह दवा हमें दिखाई नहीं देती। आज आपको कैप्सूल के बारे में बताते हैं कि कैप्सूल का बाहर का कवर किस चीज से बनाया जाता है और क्या इसका फायदा होता है और ऐसी क्या जरूरत पड़ गई कि इसके अंदर रखी जाने वाली दवा सामान्य तौर पर बिना बाहरी कवर के नहीं ली जा सकती है।
इस तरह बनाया जाता है कैप्सूल का बाहरी कवर
किसी भी दवा के बाहर कैप्सूल का कवर चढ़ाने का मतलब होता है कि वह दवा इंसानों के लिए सामान्य तौर पर लेना थोड़ी मुश्किल रहती है लेकिन कैप्सूल का कवर होने से इसे निकलने में आसानी हो जाती है। सामान्य तौर पर देखें तो कैप्सूल जिलेटिन के बने होते हैं क्योंकि जिलेटिन दवाओं का ही एक हिस्सा होता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिलेटिन फूड प्रोडक्ट में पाया जाता है।
जिलेटिन का निर्माण गाय और सुअर के चमड़े तथा हड्डियों को उबालकर किया जाता है और यही जिलेटिन कैप्सूल का बाहरी कवर बनाने में इस्तेमाल होता है। अमेरिका की एक संस्था आफ डीएनए भोजन के रूप में जिलेटिन का उपयोग करना सुरक्षित माना है। कुछ संस्थाओं ने जिलेटिन से बने कैप्सूल के साइड इफेक्ट होने की बात को भी माना है और कहा है कि इससे पाचन में समस्या आ सकती हैं और गैस्टिक की समस्या भी हो सकती है।
जिलेटिन के अलावा सैलूलोज से भी बनाया जाता है कैप्सूल कवर
कैप्सूल का निर्माण सामान्य तौर पर जिलेटिन से होता है लेकिन यह पेट में निकलने के बाद थोड़ी देर में ही बोलने लग जाता है और इसके कैप्सूल कवर के अंदर मौजूद दवा शरीर के संपर्क में आ जाती है। जिलेटिन के अलावा कैप्सूल का बाहरी कवर सैलूलोज का भी बना होता है जिसे देवदार के रस बनाया जाता है लेकिन इनकी कीमत जिलेटिन कैप्सूल से अधिक होती है। सेलुलोज से बने कैप्सूल के कवर को वेजिटेरियन कैप्सूल भी कहा जाता है क्योंकि जिलेटिन का कैप्सूल जहां गाय और सुअर की चर्बी और हड्डियों से बनाया जाता है वही सेलुलॉज से बना कैप्सूल देवदार के रस से बनाया जाता है इसलिए वेजिटेरियन लोगों के लिए सेलुलोज से बना कैप्सूल लेना ही ज्यादा उचित रहता है।