लोन की किस्तों में डिफॉल्ट होने पर बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा वसूले जाने वाले मनमाने चार्जों पर रिजर्व बैंक ने प्रतिबंध लगाया है। नए वर्ष की पहली तारीख से पहले यह बदलाव लागू होने वाला था। ग्राहकों को अब कुछ और इंतजार करना होगा।
बंद हो जाएगी बैंकों की मनमानी
दरअसल, ग्राहकों को लोन की किस्तें चुकाने पर बैंकों और एनबीएफसी से मनमाना शुल्क और ब्याज आदि वसूले जाने के कई मामले सामने आ रहे थे।
इन घटनाओं को देखते हुए, नियामक रिजर्व बैंक ने दखल देने वाली मनमानी पर नियंत्रण लगाने का उपाय बनाया। ग्राहकों को बहुत लाभ मिलेगा अब जब सेंट्रल बैंक ने डिफॉल्ट के मामले में वसूले जाने वाले चार्ज को लेकर स्थिति पूरी तरह से साफ कर दी है।
जनवरी से ही होने वाला था बदलाव
नए साल की शुरुआत से, यानी जनवरी 2024 की पहली तारीख से, यह बदलाव लागू होने वाला था। ग्राहकों को अब कुछ दिन इंतजार करना होगा। रिजर्व बैंक ने इसके लिए समय बढ़ाने की सूचना दी है।
अब बैंकों और एनबीएफसी को एक अप्रैल से नए लोन के लिए बदले हुए नियमों का पालन करना होगा। वहीं पुराने लोन वालों को नई व्यवस्था पर 30 जून 2024 से पहले अमल करने को कहा गया है।
सर्कुलर ने साफ कर दिया मामला
अगस्त 2023 में रिजर्व बैंक ने सर्कुलर जारी कर डिफॉल्ट मामले में वसूले जाने वाले चार्ज को साफ किया था। सेंट्रल बैंक ने बताया कि बैंक, एनबीएफसी और अन्य संस्थाएं किस तरह से लेवी ले सकते हैं।
रिजर्व बैंक ने कहा कि कर्ज की किस्तों के भुगतान में डिफॉल्ट होने पर पीनल इंटेरेस्ट या पीनल चार्जेज वसूल करने का उद्देश्य यह था कि लोगों को क्रेडिट देकर डिसिप्लिन पैदा हो।
दंड में नहीं भरना पड़ेगा ब्याज
अब रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि बैंकों को पीनल इंटेरेस्ट (दंडात्मक ब्याज) वसूलने पर बंद करना होगा। अब लेवी का नाम सिर्फ पीनल चार्जेज होगा। यानी अब डिफॉल्ट होने पर ब्याज की पेनल्टी नहीं लगेगी।
ग्राहकों को इससे लाभ होगा क्योंकि ब्याज के रूप में भुगतान करने से दंडात्मक जुर्माना कम हो जाएगा, यानी दंड पर चक्रवृद्धि का भुगतान नहीं करना होगा। बैंकों ने अक्सर कर्ज के मूल ब्याज से कई गुना अधिक दंडात्मक ब्याज वसूल लिया था, जो इससे रोका जाएगा।