सांप तो बहरे होते है फिर बीन की धुन पर कैसे करते है डांस, जान लो इसके पीछे की सच्चाई

Mohini Kumari
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बचपन में हममें से कई लोगों ने अपने घरों के आसपास सपेरों का तमाशा देखा होगा, जिसमें मुख्य आकर्षण नाग और नागिन का बीन की धुन पर डांस होता था। बॉलीवुड फिल्मों और शादी-बारातों में भी इस तरह के दृश्य आम थे। हमें यही बताया जाता था कि बीन बजते ही सांप बिल से बाहर निकलकर नाचने लगते हैं।

सांप और उनकी सुनने की क्षमता

कुछ लोग मानते हैं कि नाग या नागिन बीन की धुन पर नाचने का विचार एक भ्रम है। सांपों के न तो बाहरी कान होते हैं और न ही मध्य कान, लेकिन उनकी जबड़े की हड्डी उनके भीतरी कान की नली से जुड़ी होती है। इस तरह से वे आहट को अपनी त्वचा के माध्यम से महसूस कर पाते हैं।

सांप की ध्वनि सुनने की सीमित क्षमता

जहां इंसान 20 से 20,000 हर्ट्ज तक की ध्वनि सुन सकते हैं, वहीं सांप केवल 200 से 300 हर्ट्ज तक की ध्वनि ही सुन पाते हैं। इससे अधिक आवाज उनके लिए समझने योग्य नहीं होती। सांपों की त्वचा काफी संवेदनशील होती है, जिससे वे आसपास की गतिविधियों को पहचान लेते हैं।

मिथक या यथार्थ?

बीन की धुन पर सांपों का नाचना वास्तव में एक मिथक है, क्योंकि बीन की आवाज सांपों की सुनने की क्षमता से बाहर होती है। सपेरे के द्वारा बीन के घूमने की मुद्रा को देखकर सांप उसे दोहराते हैं। वास्तव में सांप बीन की चमक और सपेरे की हरकतों से डरकर रक्षात्मक मुद्रा अपनाते हैं।

वैज्ञानिक शोध और सांपों की ध्वनि संवेदनशीलता

ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ क्‍वींसलैंड के शोधकर्ताओं ने सांपों की 19 प्रजात‍ियों पर शोध किया था, जिसमें पाया गया कि सांप बहरे नहीं होते हैं, बल्कि उनकी सुनने की क्षमता सीमित होती है। इस शोध से यह स्पष्ट होता है कि सांप आसपास की आवाजों को सुनकर प्रतिक्रिया देते हैं।

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